प्रदेश में बांध व नहरों से खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए दिए जाने वाली पानी के सिस्टम में सुधार व स्काडा से मॉनिटरिंग के बाद राजस्थान अब नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट की रैंक में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। जबकि पिछले साल प्रोजेक्ट की रैंकिंग में राजस्थान 18वें स्थान पर था।
केंद्र सरकार के नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट की बेहतर मॉनिटरिंग से एक साल में ही 15 रैंक की सुधार हुई है। गुजरात जल संसाधन व दामोदर वैली कॉरपोरेशन के बाद राजस्थान का जलसंसाधन विभाग की रैंक है। नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत वर्ल्ड बैंक व केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में 128 करोड़ के काम करवाए जा रहे है।
यह रैंकिंग देश के 35 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में प्रोजेक्ट के तहत हो रहे काम की फाइनेंस, रियल टाइम डाटा सिस्टम, डाटा डिजिटलाइजेशन व ट्रेनिंग, टेंडर प्रक्रिया के पैरामीटर पर तय की है। इस प्रोजेक्ट के तहत देश भर में 2016 से काम हो रहा है।
इस प्रोजेक्ट में मौसम की सही गणना व जल संसाधन प्रबंध के आंकड़ों से प्रदेश में एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन, बाढ़ व सूखा पड़ने के हालातों से निपटने का प्रबंधन किया जा रहा है। राष्ट्रीय जल सूचना केंद्र ने जल संसाधन सूचना सिस्टम विकसित किया है, जो राज्यों में आपसी तालमेल रखेगा। नर्मदा केनाल प्रोजेक्ट, जवाई बांद व माही बांध सहित अन्य बांध को स्काडा पर काम हो रहा है।
बांध व नहरों की ऑनलाइन माॅनिटरिंग प्राथमिकता
जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव नवीन महाजन ने बताया कि बांध व नहरों से जुड़े हर किसान को सिंचाई के लिए फसलों को पानी देने की प्राथमिकता है। इसके लिए बांध व नहरों के सिस्टम को ऑटोमेटिक व ऑनलाइन किया जा रहा है, ताकि भेदभाव तथा गड़बड़ी नहीं हो।
यह है प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में बांध व नहरों में पानी छोड़ने की ऑनलाइन व ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग करने की प्रक्रिया चालू है। स्काड़ा सिस्टम से बांध में पानी की आवक ज्यादा होने पर ऑटोमेटिक गेट खुलकर निकासी हो सकेगी। कंट्रोल रूम में राडार लगाई जा रही है। बांध के गेटों पर सीसीटीवी कैमरे लगा जाएंगे। कैचमेंट में राडार लगाने से बांध व नहरों में पानी की आवक की जानकारी भी मिल रही है।